با مردم بی درد ندانی که چه دردی ست؟! |
اردیبهشت 21, 1403 |
71 |
11 |
کهکشان در کف نگاه حسین |
اردیبهشت 18, 1403 |
82 |
10 |
سبز باش |
اردیبهشت 1, 1403 |
156 |
18 |
گفته بودم درد دارد عشق، نشنیدی چرا؟ |
فروردین 28, 1403 |
85 |
19 |
جَرَس فریاد میدارد، که بربندید محملها |
فروردین 25, 1403 |
113 |
14 |
ای پادشه خوبان، داد از غم تنهائی |
فروردین 24, 1403 |
81 |
22 |
آنان که شهامتِ شهادت دارند |
بهمن 1, 1402 |
112 |
17 |
پیش بینی ایرج میرزا |
دی 21, 1402 |
133 |
8 |
گرگ از روز ازل وحشی و خونخوار نبود |
فروردین 20, 1402 |
263 |
33 |
نماد غیرت ایران، شکوهِ سردار است |
اسفند 5, 1401 |
219 |
10 |
هزار آفرین بر غم |
بهمن 12, 1401 |
363 |
9 |
کاشکی شاعر بی نام و نشانت بودم |
بهمن 4, 1401 |
298 |
22 |
در کوچه باغی با تو آواز سحر دارم |
دی 26, 1401 |
285 |
25 |
تو زیبایی و زیبایی در اینجا کم گناهی نیست |
آبان 2, 1401 |
349 |
11 |
گفته بودم درد دارد عشق، نشنیدی چرا ؟ |
بهمن 14, 1400 |
266 |
21 |
ز روی و حُسن تو، الله الله! |
بهمن 13, 1400 |
295 |
21 |
بهارت در زمستان های من جاری نخواهد شد |
بهمن 7, 1400 |
549 |
20 |
واژگون مانده دلی کز برِ تو بیرون شد |
بهمن 6, 1400 |
220 |
17 |
حسرت دیدار |
بهمن 2, 1400 |
917 |
19 |
کهکشان در کفِ نگاهِ حسـین |
دی 25, 1400 |
320 |
40 |
. دختر گل فروش |
دی 18, 1400 |
282 |
22 |
تشنه ام…مثل خاكِ نخلستان، به نفسهاى آبىِ كارون |
دی 15, 1400 |
340 |
22 |
قلم ” هوُ ” می کشد تا اوجِ حسِّ ناخود آگاهی |
دی 11, 1400 |
253 |
21 |
تو زیبایی و زیبایی در اینجا کم گناهی نیست |
دی 10, 1400 |
1126 |
17 |
دلبرم رفت و دلم رفت و دگر تابی نیست |
دی 9, 1400 |
387 |
21 |
من شاعرم به اوج قلم می نشانمت |
دی 7, 1400 |
247 |
24 |
از ماست که بر ماست |
دی 6, 1400 |
594 |
19 |
در من شکفته لاله های سرخِ امید |
دی 4, 1400 |
310 |
18 |
سرهای سبز پوش |
دی 3, 1400 |
458 |
8 |
دست من ده نا خدا امشب تو آن فانوس را |
تیر 7, 1395 |
671 |
14 |
طناب دار…، با غوغاگرِ فریاد، می رقصد |
دی 26, 1394 |
1578 |
22 |