سبز باش |
اردیبهشت 1, 1403 |
146 |
18 |
گفته بودم درد دارد عشق، نشنیدی چرا؟ |
فروردین 28, 1403 |
79 |
19 |
جَرَس فریاد میدارد، که بربندید محملها |
فروردین 25, 1403 |
107 |
14 |
ای پادشه خوبان، داد از غم تنهائی |
فروردین 24, 1403 |
69 |
21 |
آنان که شهامتِ شهادت دارند |
بهمن 1, 1402 |
108 |
17 |
پیش بینی ایرج میرزا |
دی 21, 1402 |
126 |
8 |
گرگ از روز ازل وحشی و خونخوار نبود |
فروردین 20, 1402 |
257 |
33 |
نماد غیرت ایران، شکوهِ سردار است |
اسفند 5, 1401 |
218 |
10 |
هزار آفرین بر غم |
بهمن 12, 1401 |
360 |
9 |
کاشکی شاعر بی نام و نشانت بودم |
بهمن 4, 1401 |
297 |
22 |
در کوچه باغی با تو آواز سحر دارم |
دی 26, 1401 |
281 |
25 |
تو زیبایی و زیبایی در اینجا کم گناهی نیست |
آبان 2, 1401 |
346 |
11 |
گفته بودم درد دارد عشق، نشنیدی چرا ؟ |
بهمن 14, 1400 |
265 |
21 |
ز روی و حُسن تو، الله الله! |
بهمن 13, 1400 |
293 |
21 |
بهارت در زمستان های من جاری نخواهد شد |
بهمن 7, 1400 |
546 |
20 |
واژگون مانده دلی کز برِ تو بیرون شد |
بهمن 6, 1400 |
217 |
17 |
حسرت دیدار |
بهمن 2, 1400 |
911 |
19 |
کهکشان در کفِ نگاهِ حسـین |
دی 25, 1400 |
318 |
40 |
. دختر گل فروش |
دی 18, 1400 |
279 |
22 |
تشنه ام…مثل خاكِ نخلستان، به نفسهاى آبىِ كارون |
دی 15, 1400 |
338 |
22 |
قلم ” هوُ ” می کشد تا اوجِ حسِّ ناخود آگاهی |
دی 11, 1400 |
251 |
21 |
تو زیبایی و زیبایی در اینجا کم گناهی نیست |
دی 10, 1400 |
1113 |
17 |
دلبرم رفت و دلم رفت و دگر تابی نیست |
دی 9, 1400 |
382 |
21 |
از درد سخن گفتن و از درد شنیدن |
دی 8, 1400 |
1607 |
34 |
من شاعرم به اوج قلم می نشانمت |
دی 7, 1400 |
245 |
24 |
از ماست که بر ماست |
دی 6, 1400 |
589 |
19 |
در من شکفته لاله های سرخِ امید |
دی 4, 1400 |
305 |
18 |
سرهای سبز پوش |
دی 3, 1400 |
455 |
8 |
دست من ده نا خدا امشب تو آن فانوس را |
تیر 7, 1395 |
666 |
14 |
طناب دار…، با غوغاگرِ فریاد، می رقصد |
دی 26, 1394 |
1577 |
22 |